अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख दावेदार डोनाल्ड ट्रंप के अमरीका में मुस्लिमों के प्रवेश पर प्रतिबंध के आह्वान ने पूरे विश्व में हलचल पैदा कर दी है। ट्रंप के इस बयान को चुनावी प्रचार तक सीमित नहीं माना जा सकता है। यह बयान जहां एक ओर अमरीकियों के मन में मुस्लिमों की छवि का दर्शा रहा है वहीं इस तरह का बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने वाला है। राष्ट्रपति चुनाव के समय किसी उम्मीदवार का इस तरह का मुस्लिम विरोधी बयान अमेरिका में मुस्लिमों के लिए खतरे को भी इंगित कर रहा है। वैसे भी ट्रंप राष्ट्रपति बनने की स्थिति में दूसरे देशों के युवाओं के अमेरिका में नौकरी करने पर नियंत्रण की भी बात कर चुके हैं। यह भी कहा जा सकता है कि यूरोप में बढ़ रहे आतंकवाद को मुस्लिमों से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा हो। ट्रंप अमरीकियों की सहानुभूति बटोरने के लिए यूपोप में आईएस के क्रूर चेहरे को मुस्लिम का चेहरा बनाकर जीत दर्ज करने का घिनौना खेल खेलने की फिराक में हैं। हालांकि माहौल को भांपते हुए 34 मुस्लिम देशों ने आईएस के खिलाफ खड़े होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने का बिगुल बजाकर माहौल को संभालने का प्रयास किया है। आज के हालात में यह जरूरी भी है।
मुस्लिम संगठनों के लिए सोचने का विषय यह है कि अधिकतर आतंकी संगठन मुस्लिम समुदाय से जुड़े होने की वजह से ट्रंप जैसे नेताओं को इस तरह की बयानबाजी करने का मौका मिल रहा है। बात ट्रंप के बयान की भी नहीं है पूरे मुस्लिम समुदाय के प्रति यूरोप में पनप रहे माहौल की है। भले ही व्हाइट हाउस ने ट्रंप के बयान की निंदा की हो पर यह वही अमेरिका है जो भारत के तमाम कहने के बावजूद पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का समर्थन करता रहा। इसी अमरीका की शह पर ईराक, ईरान, सीरिया, सूडान में कत्लेआम का जो खेल खेला गया वह किसी से छिपा नहीं है। विश्व में लोकतंत्र के इस दौर में आईएस, अलकायदा, लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठन कैसे खड़े हुए बताने की जरूरत नहीं। आज जरूरत किसी समुदाय के किसी देश में जाने में प्रतिबंध की नहीं बल्कि आतंकवाद को खत्म करने की है आैर आतंकवाद इस तरह की हरकतों से खत्म होने वाला नहीं। इस तरह के बयान तो धार्मिक उन्मांद को बढ़ाने साबित होते हैं। जरूरत इस बात की है कि ऐसा आतंकी संगठन का क्या रहे हैं कि बड़े स्तर पर मुस्लिम युवा इन संगठनों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। क्या आतंकी संगठनों का नेटवर्क विश्व की खुफिया एजेंसियों से भी बड़ा है। या फिर ये एजेंसियां भी ढुलमुल रवैया अपनाए हुए हैं। ट्रंप के बयान पर भले ही व्हाइट हाउस कितनी सफाई दे रहा हो पर यह सच्चाई है कि अमेरिका आज भी साम्राज्यवाद को बढ़ावा दे रहा है। हालांकि बराक ओबामा ने अमेरिका में काफी सुधार की कोशिश की है। ट्रंप को बराक ओबामा से सीख लेनी चाहिए कि वह किस तरह से हर वर्ग व धर्म के समर्थन से दो बार राष्ट्रपति बने।
इसमें दो राय नहीं कि विश्व समुदाय में ट्रंप के बयान की खुलकर आलोचना हो रही है पर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ट्रंप ने यह बयान मुस्लिम को आतंकवाद से जोड़कर दिया है। वह बात दूसरी है कि व्हाइट हाउस ने इस बयान को अमेरिकी मूल्यों आैर संविधान के खिलाफ बताया है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट के अनुसार ट्रंप का बयान सिर्फ राष्ट्रपति की प्राथमिकताओं के ही नहीं बल्कि इस देश की स्थापना के लिए जरूरी मूल्यों के भी खिलाफ है। इसमें दो राय नहीं कि ट्रंप के बयान के बाद उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है। इससे पहले उन्होंने मस्जिदों की निगरानी की भी बात कही थी। ट्रंप के इन दोनों ही बयानों पर राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। यह ट्रंप के बयान की आलोचना ही है कि व्हाइट हाउस ने ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति होने के लिए अयोग्य करार दे दिया है। माहौल को समझते हुए व्हाइट हाउस ने सफाई देते हुए अमेरिका को धर्मनिरपेक्ष देश दिखाने की कोशिश की है। कहा गया है कि 'अमेरिका की स्थापना ऐसे लोगों ने की थी, जो कि अत्याचारों से बचकर भाग रहे थे आैर एक ऐसे स्थान की खोज में थे, जहां वे स्वतंत्रता के साथ अपने धर्म का पालन कर सके। उनके अनुसार अमेरिका का मूल आधार यही है।
ट्रंप के बयान का समाज पर ऐसा दुष्प्रभाव पड़ा कि अभिनेता विल स्मिथ तक विचलित हो उठे। उन्होंने कहा कि ट्रंप का यह बयान को उन्हें राजनीति में आने के लिए उकसा रहा है। फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग के बाद अब गुगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने ट्रंप के इस बयान में मुसलमानों का समर्थन किया है। ब्रिाटेन की सरकार भी इस बयान की आलोचना कर रही है।
गौर करने वाली बात यह है कि एक ओर जहां पूरी दुनिया आतंकवाद व ट्रंप के बयान की आलोचना कर रही है वहीं मशहूर पत्रिका 'टाइम" ने इस साल 'पर्सन ऑफ द ईयर" के लिए अंतिम आठ दावेदारों में आईएस के सरगना अब बकर बगदादी के अलावा डोनाल्ड ट्रंप का नाम भी शामिल किया था। हालांकि बाद में पत्रिका ने जर्मनी की चांसलर एंजला मर्कल को 'पर्सन ऑफ द 2015" चुन लिया। यह भी बेशर्मी ही है कि भले ही दुनिया ट्रंप के बयान की आलोचना कर रही हो पर रिपब्लिकन पार्टी उनके बयान को सही साबित करने पर तुली है। रिपब्लिकन पार्टी के भारतीय मूल के बॉबी जिंदल ने डोनाल्ड ट्रंप के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने अमेरिका में अवैध प्रवासियों से जन्मे बच्चों के लिए जन्म आधारित नागरिकता खत्म करने का भी समर्थन किया। यह ट्रंप का दुस्साहस ही है कि दुनिया की आलोचनाओं को अनदेखा करते हुए वह राष्ट्रपति बनने की स्थिति में अमेरिका में दूसरे देशों के नागरिकों के लिए नौकरी पर नियंत्रण करने की बात कर रहे हैं। यह ट्रंप का अति आत्मविश्वास ही है कि मुस्लिम विरोधी टिप्पणी के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम तरह की आलोचनाएं झेल रहे ट्रंप ट्विटर पर एक नए मामले में सऊदी के राजकुमार से भिड़ गए। ट्रम्प के इस बयान की निंदा करते हुए जब सऊदी राजकुमार और अरबपति अलवलीद बिन तलाल ने ट््वीट कर ट्रंप को कहा कि ट्रंप न सिर्फ रिपब्लिकन पार्टी, बल्कि सभी अमरीकियों के लिए एक कलंक हैं। राजकुमार ने उन्हंे राष्ट्रपति पद की रेस से हटने की सलाह दी तो ट्रंप ने ट््िवटर पर ही उन्हें जवाब दे दिया कि राजकुमार (तलाल) आप अपने पिता के पैसे से अमरीकी नेताओं को नियंत्रित करना चाहते हैं । लेकिन जब वह राष्ट्रपति बन जाएंगे तो यह सब नहीं होने देंगे। देखना यह भी हागा कि ट्रंप का मुस्लिम विरोधी बयान हाल ही में कैलिफोर्निया में हुई गोलीबारी की घटना के बाद आया है। इस गोलीबारी में 14 लोग मारे गए थे। इसमें दो राय नहीं कि विश्व में मुस्लिमोंं के प्रति इस तरह के बयान आतंकी संगठनों को लेकर आ रहे हैं। विश्व में मुस्लिमों के प्रति जनमानस के भाव को भांपते हुए 34 मुस्लिम देशों ने आतंकवाद के खिलाफ जो मोर्चा खोला है वह सराहनीय है। सऊदी अरब में इसका मुख्यालय बनाया गया है। यहं नया'इस्लामी सैन्य गठबंधन" राजधानी रियाद में स्थित केंद्र के साथ मिलकर एक साझा अभियान चलाएगा। बताया जा रहा है कि सऊदी अरब इसका नेतृत्व करेगा। आतंकवाद से मुकाबला करने वाले इस नए गठबंधन में पाकिस्तान, तुर्की, मिरुा, लीबिया, यमन जैसे देशों के अलावा अफ्र ीकी देश माली, चाड आैर सोमालिया आैर नाइजीरिया समेत कई देश शामिल हैं।
उधर जहां ट्रंप जैसे नेता आतंकवाद को मुस्लिमों से जोड़कर देख रहे हैं वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने की चेतावनी देते हुए गठबंधन सेनाओं से आतंकी संगठन आईएस के खिलाफ अपने अभियान में और तेजी लाने का आह्वान किया है। पेंटागन में सोमवार को नेशनल सिक्योरिटी के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक के बाद ओबामा ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, आईएस अब अपना प्रोपोगंडा फैला नहीं सकता। हमने उसके जड़ से खत्मे के लिए अपने हमलों में तेजी ला दी है और आतंकी कहीं भी छिप नहीं सकते। अमेरिकी ने आतंकवाद के खिलाफ सक्रियता दिखाते हुए अमेरिका की सरजमीन पर हमला करने के लिए कथित तौर पर धन लेकर आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट को साजो-सामान का सहयोग मुहैया कराने के आरोप में अमेरिका में 30 साल के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। एफबीआई ने सोमवार को मोहम्मद अलशिनावी को गिरफ्तार किया है जो मेरीलैंड का रहने वाला है।
मुस्लिम संगठनों के लिए सोचने का विषय यह है कि अधिकतर आतंकी संगठन मुस्लिम समुदाय से जुड़े होने की वजह से ट्रंप जैसे नेताओं को इस तरह की बयानबाजी करने का मौका मिल रहा है। बात ट्रंप के बयान की भी नहीं है पूरे मुस्लिम समुदाय के प्रति यूरोप में पनप रहे माहौल की है। भले ही व्हाइट हाउस ने ट्रंप के बयान की निंदा की हो पर यह वही अमेरिका है जो भारत के तमाम कहने के बावजूद पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का समर्थन करता रहा। इसी अमरीका की शह पर ईराक, ईरान, सीरिया, सूडान में कत्लेआम का जो खेल खेला गया वह किसी से छिपा नहीं है। विश्व में लोकतंत्र के इस दौर में आईएस, अलकायदा, लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठन कैसे खड़े हुए बताने की जरूरत नहीं। आज जरूरत किसी समुदाय के किसी देश में जाने में प्रतिबंध की नहीं बल्कि आतंकवाद को खत्म करने की है आैर आतंकवाद इस तरह की हरकतों से खत्म होने वाला नहीं। इस तरह के बयान तो धार्मिक उन्मांद को बढ़ाने साबित होते हैं। जरूरत इस बात की है कि ऐसा आतंकी संगठन का क्या रहे हैं कि बड़े स्तर पर मुस्लिम युवा इन संगठनों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। क्या आतंकी संगठनों का नेटवर्क विश्व की खुफिया एजेंसियों से भी बड़ा है। या फिर ये एजेंसियां भी ढुलमुल रवैया अपनाए हुए हैं। ट्रंप के बयान पर भले ही व्हाइट हाउस कितनी सफाई दे रहा हो पर यह सच्चाई है कि अमेरिका आज भी साम्राज्यवाद को बढ़ावा दे रहा है। हालांकि बराक ओबामा ने अमेरिका में काफी सुधार की कोशिश की है। ट्रंप को बराक ओबामा से सीख लेनी चाहिए कि वह किस तरह से हर वर्ग व धर्म के समर्थन से दो बार राष्ट्रपति बने।
इसमें दो राय नहीं कि विश्व समुदाय में ट्रंप के बयान की खुलकर आलोचना हो रही है पर हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ट्रंप ने यह बयान मुस्लिम को आतंकवाद से जोड़कर दिया है। वह बात दूसरी है कि व्हाइट हाउस ने इस बयान को अमेरिकी मूल्यों आैर संविधान के खिलाफ बताया है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट के अनुसार ट्रंप का बयान सिर्फ राष्ट्रपति की प्राथमिकताओं के ही नहीं बल्कि इस देश की स्थापना के लिए जरूरी मूल्यों के भी खिलाफ है। इसमें दो राय नहीं कि ट्रंप के बयान के बाद उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है। इससे पहले उन्होंने मस्जिदों की निगरानी की भी बात कही थी। ट्रंप के इन दोनों ही बयानों पर राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। यह ट्रंप के बयान की आलोचना ही है कि व्हाइट हाउस ने ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति होने के लिए अयोग्य करार दे दिया है। माहौल को समझते हुए व्हाइट हाउस ने सफाई देते हुए अमेरिका को धर्मनिरपेक्ष देश दिखाने की कोशिश की है। कहा गया है कि 'अमेरिका की स्थापना ऐसे लोगों ने की थी, जो कि अत्याचारों से बचकर भाग रहे थे आैर एक ऐसे स्थान की खोज में थे, जहां वे स्वतंत्रता के साथ अपने धर्म का पालन कर सके। उनके अनुसार अमेरिका का मूल आधार यही है।
ट्रंप के बयान का समाज पर ऐसा दुष्प्रभाव पड़ा कि अभिनेता विल स्मिथ तक विचलित हो उठे। उन्होंने कहा कि ट्रंप का यह बयान को उन्हें राजनीति में आने के लिए उकसा रहा है। फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग के बाद अब गुगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने ट्रंप के इस बयान में मुसलमानों का समर्थन किया है। ब्रिाटेन की सरकार भी इस बयान की आलोचना कर रही है।
गौर करने वाली बात यह है कि एक ओर जहां पूरी दुनिया आतंकवाद व ट्रंप के बयान की आलोचना कर रही है वहीं मशहूर पत्रिका 'टाइम" ने इस साल 'पर्सन ऑफ द ईयर" के लिए अंतिम आठ दावेदारों में आईएस के सरगना अब बकर बगदादी के अलावा डोनाल्ड ट्रंप का नाम भी शामिल किया था। हालांकि बाद में पत्रिका ने जर्मनी की चांसलर एंजला मर्कल को 'पर्सन ऑफ द 2015" चुन लिया। यह भी बेशर्मी ही है कि भले ही दुनिया ट्रंप के बयान की आलोचना कर रही हो पर रिपब्लिकन पार्टी उनके बयान को सही साबित करने पर तुली है। रिपब्लिकन पार्टी के भारतीय मूल के बॉबी जिंदल ने डोनाल्ड ट्रंप के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने अमेरिका में अवैध प्रवासियों से जन्मे बच्चों के लिए जन्म आधारित नागरिकता खत्म करने का भी समर्थन किया। यह ट्रंप का दुस्साहस ही है कि दुनिया की आलोचनाओं को अनदेखा करते हुए वह राष्ट्रपति बनने की स्थिति में अमेरिका में दूसरे देशों के नागरिकों के लिए नौकरी पर नियंत्रण करने की बात कर रहे हैं। यह ट्रंप का अति आत्मविश्वास ही है कि मुस्लिम विरोधी टिप्पणी के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम तरह की आलोचनाएं झेल रहे ट्रंप ट्विटर पर एक नए मामले में सऊदी के राजकुमार से भिड़ गए। ट्रम्प के इस बयान की निंदा करते हुए जब सऊदी राजकुमार और अरबपति अलवलीद बिन तलाल ने ट््वीट कर ट्रंप को कहा कि ट्रंप न सिर्फ रिपब्लिकन पार्टी, बल्कि सभी अमरीकियों के लिए एक कलंक हैं। राजकुमार ने उन्हंे राष्ट्रपति पद की रेस से हटने की सलाह दी तो ट्रंप ने ट््िवटर पर ही उन्हें जवाब दे दिया कि राजकुमार (तलाल) आप अपने पिता के पैसे से अमरीकी नेताओं को नियंत्रित करना चाहते हैं । लेकिन जब वह राष्ट्रपति बन जाएंगे तो यह सब नहीं होने देंगे। देखना यह भी हागा कि ट्रंप का मुस्लिम विरोधी बयान हाल ही में कैलिफोर्निया में हुई गोलीबारी की घटना के बाद आया है। इस गोलीबारी में 14 लोग मारे गए थे। इसमें दो राय नहीं कि विश्व में मुस्लिमोंं के प्रति इस तरह के बयान आतंकी संगठनों को लेकर आ रहे हैं। विश्व में मुस्लिमों के प्रति जनमानस के भाव को भांपते हुए 34 मुस्लिम देशों ने आतंकवाद के खिलाफ जो मोर्चा खोला है वह सराहनीय है। सऊदी अरब में इसका मुख्यालय बनाया गया है। यहं नया'इस्लामी सैन्य गठबंधन" राजधानी रियाद में स्थित केंद्र के साथ मिलकर एक साझा अभियान चलाएगा। बताया जा रहा है कि सऊदी अरब इसका नेतृत्व करेगा। आतंकवाद से मुकाबला करने वाले इस नए गठबंधन में पाकिस्तान, तुर्की, मिरुा, लीबिया, यमन जैसे देशों के अलावा अफ्र ीकी देश माली, चाड आैर सोमालिया आैर नाइजीरिया समेत कई देश शामिल हैं।
उधर जहां ट्रंप जैसे नेता आतंकवाद को मुस्लिमों से जोड़कर देख रहे हैं वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने की चेतावनी देते हुए गठबंधन सेनाओं से आतंकी संगठन आईएस के खिलाफ अपने अभियान में और तेजी लाने का आह्वान किया है। पेंटागन में सोमवार को नेशनल सिक्योरिटी के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक के बाद ओबामा ने चेतावनी भरे लहजे में कहा, आईएस अब अपना प्रोपोगंडा फैला नहीं सकता। हमने उसके जड़ से खत्मे के लिए अपने हमलों में तेजी ला दी है और आतंकी कहीं भी छिप नहीं सकते। अमेरिकी ने आतंकवाद के खिलाफ सक्रियता दिखाते हुए अमेरिका की सरजमीन पर हमला करने के लिए कथित तौर पर धन लेकर आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट को साजो-सामान का सहयोग मुहैया कराने के आरोप में अमेरिका में 30 साल के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। एफबीआई ने सोमवार को मोहम्मद अलशिनावी को गिरफ्तार किया है जो मेरीलैंड का रहने वाला है।