Tuesday 15 September 2015

पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने ने लिए खड़े हो जाओ

साथियों,
             लंबे समय से सरकारों के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रति चले आ रहे उपेक्षित रवैये के खिलाफ अब खड़ा होना जरूरी हो गया है। जब तक यह क्षेत्र अलग प्रदेश नहीं बनेगा तब तक यहां के लोगों का भला नहीं हो सकता। फाइट फॉर राइट व पश्चिमी उत्तर प्रदेश विकास पार्टी ने यह बीड़ा उठाया है आैर हम लोग इस क्षेत्र को अलग प्रदेश बनवा कर ही दम लेंगे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 28 जिले, 29 लोकसभा व 135 विधानसभा क्षेत्र हैं। एक विशेष क्षेत्र के लोग नहीं चाहते कि यह क्षेत्र अलग प्रदेश के रूप में जाना जाए। उसका कारण इस क्षेत्र को लूटकर अपना घर भरना तथा सरकार को मिलने वाला 70-80 फीसद राजस्व है। 24 हजार करोड़ तो अकेला गौतमबुद्धनगर जिला देता है। इतना राजस्व देने के बावजूद यहां पर मात्र 15-20 फीसद विकास होता है। रोजगार के नाम पर यहां के युवाओं को ठेंगा दिखाया रहा है। अब समय आ गया है कि हर वर्ग के लोग अलग प्रदेश बनवाने के लिए उठें आैर इस आंदोलन में शामिल हों।
     पहला स्वतंत्रता संग्राम हमारे क्षेत्र मेरठ से ही शुरू हुआ। स्वभाविक है कि हमारे पूर्वज खुद्दार, स्वाभिमानी पराक्रमी आैर अत्याचार का विरोध करने वाले थे। हम लोगों को दबाने के लिए तरह-तरह से हमें परेशान किया गया। एक षड¬ंत्र के तहत लंबी दूरी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट आैर लखनऊ राजधानी बनाई गई थी। यह क्षेत्र अलग प्रदेश बन जाएगा तो हाईकोर्ट व राजधानी भी हमारे क्षेत्र में होंगे तथा जो वकील भाई हाईकोर्ट की ब्राांच की मांग कर रहे हैं उनकी समस्या अपनेआप खत्म हो जाएगी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश गन्ना किसानों के नाम जाना जाता है। गन्ना किसानों की बेबसी देखिए कि वह कर्जा लेकर रात-दिन मेहनत कर फसल तैयार करते हैं आैर उसे चीनी मिल पर डाल आते हैं। भुगतान के लिए उन्हें आंदोलन करना पड़ता है। लाठी खानी पड़ती है। इन सबके बावजूद किसानों को उनका बकाया भुगतान नहीं हो पा रहा है। खरबों रुपए ब्याजमुक्त कर्जा लेने के बावजूद चीनी मिल मालिक किसानों को चक्कर कटवा रहे हैं। किसानों के सामने ऐसी स्थिति पैदा कर दी गई है कि सम्पन्न क्षेत्र के नाम से जाने जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी किसान आत्म-हत्या करने लगे हैं। चौधरी चरण सिंह का अलग प्रदेश बनवाने का सपना रहा है। उनके पुत्र अजीत सिंह व पौत्र जयंती चौधरी उनके नाम से राजनीति कर रहे हैं, पर जब अलग प्रदेश की बात आती है तो वह सत्तामोह में फंस जाते हैं। चौधरी चरण सिंह का असली वारिश बताने वाले मुलायम सिंह यादव अलग प्रदेश का विरोध कर रहे हैं।
साथियों पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग बनवाने की मांग 1930 में गोलमेज सम्मेलन में भी उठी थी। महात्मा गांधी, अली जिन्ना व भाई परमानंद ने इसका समर्थन किया था। 1953 में जब राज्य पुनर्गठन आयोग बना तो 97 विधायकों ने आयोग के सामने अलग राज्य की मांग उठाई थी। आयोग ने सहमति भी दी थी पर सत्तारूढ़ नेताओं ने निजी कारणों के चलते अलग राज्य नहीं बन पाया। 1978 में सोहनवीर तोमर ने अलग राज्य की मांग उठायी थी। भले ही आज सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनवाने का विरोध कर रहे हों पर 1995 में उन्होंने खुद इसकी पैरवी की थी। 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने उत्तर प्रदेश को चार राज्य में बांटकर राज्य के पुनर्गठन का प्रस्ताव यूपीए सरकार को भेजा था पर कुछ स्वार्थी नेता पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य नहीं बनने दे रहे हैं। अब हमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनवाने के लिए हर कुर्बानी को तैयार रहना है आैर हम लोग अलग राज्य बनवा का ही रहेंगे।
                                     आपका अपना
                                     चरण सिंह राजपूत
                                     राष्ट्रीय अध्यक्ष, फॉइट फॉर राइट
                    राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रवक्ता, पश्चिमी उत्तर प्रदेश विकास पार्टी

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