दिल्ली के मुख्यमंत्री बने अरविन्द केजरीवाल का राजनीति करने का तरीका भी
गज़ब का है। सत्ता मिलने के बाद भी वह आंदोलन की भाषा बोल रहे हैं। जिस तरह
से उनका शपथ ग्रहण समारोह जनता को समर्पित रहा। वीआईपी लोगों को कोई तवज्जो
नहीं मिली। इससे यह तो साबित हो गया है कि जहां वह पूंजीपतियों से दूर
रहना चाहते हैं वहीं आम आदमी से जुड़कर ही सरकार चलाना चाहते हैं।
अक्सर देखा गया है कि सरकार बनाने के लिए नेता जनता के खून पसीने से कमाया हुआ अरबों रुपए विधायकों की जोड़-तोड़ में लगा देते हैं। सरकार बनाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं। ऐसे माहौल में केजरीवाल का सत्ता मोह से दूर रहना जनता के लिए अच्छा संदेश है। जहां अन्य दल पूंजीपतियों के शिकंजे में फंसते जा रहे हैं वहीं आप जनता से जुड़कर राजनीति कर रही है। यह केजरीवाल की राजनीति ही है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह जनता से सीधे रूबरू हो रहे हैं। यह केजरीवाल का आंदोलन ही है कि नेताओं से घृणा करने वाला आम आदमी भी अब राजनीति करने की सोचने लगा है। आप की इस पहल से जहां वंशवाद पर लगाम कसी जाएगी वहीं युवाओं को भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। इसमें दो राय नहीं कि अन्य राजनीतिक दलों में आप के राजनीति करने के तरीके से हड़कंप है।
हां मैं यह जरुर कहना चाहूंगा कि आज जब केजरीवाल शपथ ग्रहण समारोह में जिस तरह से जीत का श्रेय बार-बार भगवान को देते दिखे उसमें उनका आत्मविस्वास कम होता दिखा। आदमी के आगे बढ़ाने में नसीब का बहुत बड़ा योगदान होता है पर भगवान भी तभी मदद करता है जब आदमी कर्म करता है। आप की जीत में कार्यकर्ताओं व आम लोगों का योगदान सराहनीय है। समाजसेवी अन्ना हजारे के संघर्ष को भुलाया नहीं जा सकता है। अन्ना भले ही सक्रिय रूप से आप से न जुड़े रहे हों पर भ्रष्टाचार के खिलाफ बनाए गए उनके माहौल का असर केजरीवाल के आंदोलन भी हुआ है।
अक्सर देखा गया है कि सरकार बनाने के लिए नेता जनता के खून पसीने से कमाया हुआ अरबों रुपए विधायकों की जोड़-तोड़ में लगा देते हैं। सरकार बनाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं। ऐसे माहौल में केजरीवाल का सत्ता मोह से दूर रहना जनता के लिए अच्छा संदेश है। जहां अन्य दल पूंजीपतियों के शिकंजे में फंसते जा रहे हैं वहीं आप जनता से जुड़कर राजनीति कर रही है। यह केजरीवाल की राजनीति ही है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह जनता से सीधे रूबरू हो रहे हैं। यह केजरीवाल का आंदोलन ही है कि नेताओं से घृणा करने वाला आम आदमी भी अब राजनीति करने की सोचने लगा है। आप की इस पहल से जहां वंशवाद पर लगाम कसी जाएगी वहीं युवाओं को भी आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। इसमें दो राय नहीं कि अन्य राजनीतिक दलों में आप के राजनीति करने के तरीके से हड़कंप है।
हां मैं यह जरुर कहना चाहूंगा कि आज जब केजरीवाल शपथ ग्रहण समारोह में जिस तरह से जीत का श्रेय बार-बार भगवान को देते दिखे उसमें उनका आत्मविस्वास कम होता दिखा। आदमी के आगे बढ़ाने में नसीब का बहुत बड़ा योगदान होता है पर भगवान भी तभी मदद करता है जब आदमी कर्म करता है। आप की जीत में कार्यकर्ताओं व आम लोगों का योगदान सराहनीय है। समाजसेवी अन्ना हजारे के संघर्ष को भुलाया नहीं जा सकता है। अन्ना भले ही सक्रिय रूप से आप से न जुड़े रहे हों पर भ्रष्टाचार के खिलाफ बनाए गए उनके माहौल का असर केजरीवाल के आंदोलन भी हुआ है।
केजीवाल को आस्थावान होना चाहिए पर
कर्म को ही प्रधान मानें और दिल्ली में कुछ ऐसे काम करें कि पूरे देश में
अच्छा संदेश जाए। केजरीवाल से लोगों को बहुत अपेक्षाएं हैं, अब देखना यह है
कि वह दिल्ली के लोगों की विश्वास पर कितना खरा उतरते हैं।
good one
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