Tuesday, 15 June 2021

Division of UP: विदर्भ राज्य का गठन कर सकती है मोदी सरकार

 



Division of UP: उत्तर प्रदेश के तीन हिस्से किए जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड और पूर्वांचल। सूत्रों की मानें तो योगी आदित्यनाथ की दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लंबी वार्ता की वजह उत्तर प्रदेश का बंटवारा है।


वैसे भी योगी आदित्यनाथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मिले हैं। कैबिनेट विस्तार में तो राष्ट्रपति से चर्चा का कोई मतलब नहीं होता। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई मीटिंग विदर्भ को अलग राज्य बनाने को लेकर बताई जा रही है।


विदर्भ की राजधानी नागपुर

Division of UP: विदर्भ की राजधानी नागपुर को बनाने की योजना है। वैसे भी नागपुर में भाजपा के मातृ संगठन आरएसएस का मुख्यालय है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काम करने का यह अपना तरीका है कि वह किसी बात को लीक नहीं होने देते।


चाहे नोटबंदी का मामला हो, जीएसटी का मामला हो या फिर संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने का। उन्होंने किसी को कानोंकान खबर नहीं लगने दी थी। उत्तर प्रदेश के बंटवारे और विदर्भ राज्य के गठन पर तेजी से काम चल रहा है।


लंबे समय से उत्तर प्रदेश के बंटवारे की जरूरत

वास्तव में, लंबे समय से उत्तर प्रदेश के बंटवारे की जरूरत महसूस की जा रही है तो महाराष्ट्र में विदर्भ को अलग राज्य बनाने की मांग भी जोर-शोर से उठ रही है। एनडीए में शामिल रामदास अठावले लंबे समय से विदर्भ को अलग राज्य बनाने की पैरवी कर रहे हैं।


उन्होंने तो उत्तर प्रदेश के बंटवारे की बात करते हुए वाराणसी को पूर्वांचल की राजधानी बनाने का सुझाव तक दे डाला था। ऐसे में प्रश्न उठता है कि किसी भी प्रदेश के बंटवारे के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाता है।



 

नौकरशाही के बंटवारे की बात होती है। कर्ज के पैसे के बंटवारे पर चर्चा होती है। बंटवारे का बोझ किसी राज्य पर डाला जाए, यह बड़ा मुद्दा होता है। राज्यों की सीमाओं पर बातचीत होती है। राज्य की राजधानियां तय होती हैं। पेंशन के बोझ को बांटने की योजना पर चर्चा होती है।


राजस्व साझेदारी की व्यवस्था

राजस्व साझेदारी की व्यवस्था बनती है। क्योंकि राज्य और केंद्र दोनों में भाजपा की ही सरकार है तो व्यवस्था नौकरशाही, राजस्व, सीमाएं और राजधानी कोई बड़ा विषय नहीं है। जहां तक बंटवारे के प्रस्ताव का सवाल है तो 11 नवंबर 2011 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने उत्तर प्रदेश को चार भागों में बांटने का प्रस्ताव तत्कालीन यूपीए सरकार को भेजा था।


हालांकि, उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में विभाजित करने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से कई स्पष्टीकरण मांगते हुए वापस भिजवा दिया था। जिनमें नए राज्यों की सीमाएं, उनकी राजधानियों और राज्य पर कर्ज का मामला शामिल था।


मायावती का प्रस्ताव

दरअसल, मायावती का उत्तर प्रदेश को अवध प्रदेश, पूर्वांचल, बुंदेलखंड और पश्चिम प्रदेश में बांटने का प्रस्ताव था तो मोदी सरकार और योगी सरकार उत्तर प्रदेश को तीन भागों में बांटना चाहती है। हां, केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने की टेंशन योगी सरकार को नहीं है।


जहां प्रस्ताव को पास कराने की बात है तो मौजूदा हालात में यह काम कोई कठिन नहीं है। योगी सरकार को प्रचंड बहुमत प्राप्त है। बसपा यूपीए सरकार को बंटवारे का प्रस्ताव भेजकर पहले ही मुहर लगा चुकी है। हां, सपा बंटवारे का विरोध करती रही है पर विधानसभा में सपा प्रस्ताव गिराने की स्थिति में नहीं है।


भाजपा बड़े प्रदेशों के बंटवारे की पक्षधर

यह भी जमीनी हकीकत है कि भाजपा बड़े प्रदेशों के बंटवारे की पक्षधर रही है। उत्तराखंड, झारखंड औेर छत्तीसगढ़ का गठन 9 नवंबर 2000 को वाजपेयी सरकार में ही हुआ था। यह बात जरूर है कि भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों का प्रभाव कम करने के लिए मुस्लिम बहुल जिलों को दूसरे राज्यों में मिला सकती है।


इसके लिए मुरादाबाद मंडल को उत्तराखंड और सहारनपुर मंडल को हरियाणा में शामिल किया जा सकता है। उत्तराखंड और हरियाणा में भी भाजपा की सरकार होने की वजह से इसमें कोई अड़चन नहीं आएगी।



 

मतलब, मोदी सरकार के पास इस समय उत्तर प्रदेश का पोस्टमार्टम कराने का सुनहरा अवसर है। जिसे वह किसी भी हालत में चूकना नहीं चाहेगी। वैसे भी मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अगुआई में उत्तर प्रदेश के बंटवारे का मसौदा तैयार हो चुका है।


बुंदेलखंड और पूर्वांचल राज्य

Division of UP: इस मसौदे में उत्तर प्रदेश से अलग होकर बुंदेलखंड और पूर्वांचल राज्य बनने हैं। मोदी सरकार की योगी आदित्यनाथ से उत्तर प्रदेश के बंटवारे को लेकर युद्ध स्तर पर वार्ता चल रही है। मोदी सरकार हर हाल में आम चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश के दबाव को कम करना चाहती है।


यह काम उत्तर प्रदेश का बंटवारा करके ही किया जा सकता है। वैसे भी अव्यवस्था पैदा करके चुनावी माहौल बनाने की भाजपा की पुरानी कला है। इतना ही नहीं, मोदी सरकार की लोकसभा और राज्य सभा सीटें भी बढ़ाने की तैयारी है। तभी तो नया संसद भवन बनाया जा रहा है। आपको क्या लगता है, कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।

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