Friday, 13 March 2015

विवादों की जड़ है 'लिव इन रिलेशनशिप"

    भले ही हमारे देश में कुछ लोग लिव इन रिलेशनशिप को बढ़ावा दे रहे हों। भले ही इस संबंध को मान्यता देने की मांग की जा रही हो। भले ही इस तरह के संबंधों अपनाकर खुशी ढूंढी जा रही हो पर हमारा समाज इस तरह के संबंधों की इजाजत नहीं देता। जिसका परिणाम यह समाने आ रहा है कि इन संबंध से विवादों को जन्म हो रहा है। यही विवाद बाद में अपराध का रूप ले रहा है। यही वजह है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर इस रिश्ते को रेप के दायरे से बाहर रखने से इनकार कर दिया। कोर्ट का मानना है कि ऐसा करने से इस रिश्ते को वैवाहिक दर्जा प्राप्त करना होगा। याचिका में अधिकतर मामले झूठे पाए जाने की दलील देते हुए कोर्ट से केंद्र आैर दिल्ली सरकार को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था कि रेप के आरोप से बरी व्यक्ति को मुआवजा प्राप्त करने का संवैधानिक अधिकार दिया जाए तथा कानून के दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज किए जाएं। इस तरह के फैसले एक तरह से इन संबंधों को अपनाने वाले लोगों को सचेत कर रहे हैं।
     बात कोर्ट की चल रही है तो हमें यह भी देखना होगा कि गत दिनों मद्रास हाईकोर्ट ने 'लिव इन रिलेशनशिप" में रहने वाले प्रेमी युगल को पति-पत्नी का दर्जा देने की बात कही थी। इन दोनों आदेशों से यह भी समझ में आ रहा है कि इन संबंधों अपनाने वाले लोग इन संबंधों को जायज ठहराने के लिए कोर्ट भी भी दबाव बना रहे हैं। भले ही दिल्ली हाईकोर्ट व मद्रा हाईकोर्ट के आदेश में विरोधाभाष देखा जा रहा हो पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस तरह के संबंध से अपनेआप विवादों की शुरुआत हो जाती है। इन युवाओं को यह देखना होगा कि पश्चिमी सभ्यता की होड़, आधुनिकता की दौड़ व भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात उनके लिए परेशानी ही लेकर ही आएगा। हालात पर नजर डाली जाए तो नैतिक मूल्यों का ह्मास करने वाली यह प्रवत्ति युवाओं को अपराध के दलदल में धकेल रही है। अक्सर देखा जाता है कि सामाजिक व पारिवारिक जिम्मेदारी को निभाने का साहस न जुटाने वाले स्वार्थी युवा ही ऐसे मामलों में लिप्त देखे जा रहे हैं।
     दरअसल राह से भटके कुछ युवाओं ने अय्याशी का एक नया रास्ता अपनाते हुए इस तरह की अनोखी परिपाटी को जन्म दिया है। भले ही कुछ लोग इसे भावनात्मक संबंधों के रूप में देखते हों पर इस तरह के संबंध मात्र एक-दूसरे की निजी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनाए जा रहे हैं। हम कितने भी आधुनिक हो जाएं हमें यह समझना होगा कि बिना सामाजिक बंधन के एक पुरुष व महिला का एक साथ रहना अपराध को न्योता देने जैसा है। आज के स्वार्थी माहौल में 'लिव इन रिलेशनशिप" में युवती के लिए सुरक्षा का माहौल बना रहना कैसे संभव है?
    इस तरह के युवाओं को यह समझना होगा कि बिना सामाजिक जिम्मेदारी को वहन किए सिर्फ एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा करना कभी भी किसी अनहोनी का सबब बन सकता है, विशेषकर महिला वर्ग के लिए। मसलन रेप, गैंगरेप, ब्लेकमेलिंग आदि। इस तरह के मामलों में हत्या, आत्महत्या, भ्रूण हत्या जैसे अपराध का भी अंदेशा हमेशा बना रहता है। अक्सर देखा जाता है कि इस तरह के अनैतिक संबंधों में जब तक एक-दूसरे के स्वार्थ पूरे होते रहते हैं तब तक तो ठीक रहता है, जहां काम निकला कि संबंधों में दरारें आनी शुरू हो जाती हैं। स्वभाविक है कि झूठे वादों की बुनियादी पर बने इस तरह के संबंध झूठे आरोपों की झड़ी लगाएंगे ही।
     फिलहाल हाल के कई मामलों पर नजर दौड़ाई जाए तो यह मामला भी खुद ही दर्द देकर दवा करने जैसा लग रहा है। आए दिन लिव इन रिलेशनशिप में रह रही कोई युवती अपने प्रेमी पर रेप का आरोप लगा रही होती है तो कोई ब्लेकमेलिंग का। बात आम आदमी की ही नहीं है है गत दिनों चंदौसी सीट से महिला विधायक की कहानी कुछ इस तरह की देखने को मिली। वह लंबे समय तक अपने प्रेमी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रही, बाद में दोनों ने शादी भी कर ली। बाद में उनके पति ने आरोप लगाया है कि उसकी पत्नी बिना तलाक लिए किसी अन्य पुरुष के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रही है। गुड़गांव में एक युवती ने युवक पर प्लॉट देने के नाम पर सालभर रेप करने का आरोप लगाया था। इस तरह के संबंध अपनाने वाले युवा मंथन करें तो उनकी समझ में आ जाएगा कि लिव इन रिलेशनशिप के इक्का-दुक्का मामले को छोड़ दें तो अधिकतर मामलों में लड़ाई-झगड़ा, तनाव, बहस, तनाव अलगाव व डिप्रेशन आम बात है।
     हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हर वस्तु अपनी बुनियाद पर टिकी हाती है। यही बात हमारे सामाजिक ढांचे पर भी लागू होती है। हमारे समाज की बुनियाद हमारी संस्कृति है। यदि हम अपने सामाजिक मयार्दाओं को ताक पर रखकर सिर्फ नकलचियों की तरह पश्चिमी देशों की चीजों को अपनाएंगे तो एक न एक दिन हमें इसका खामियाजा भुगतना ही पड़ेगा, वह चाहे किसी रूप में क्यों न हो।

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