Thursday 7 April 2016

देशभक्ति थोपइये मत, पैदा कीजिए

   अन्ना आंदोलन के बाद देश में देशभक्ति ने ऐसा रूप लिया कि राजनीति चमकाने के लिए इसे माध्यम बना लिया गया। अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी ने तो दिल्ली की सत्ता ही कब्जा ली। वह आंदोलन का असर ही था कि आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी ने जनता के सामने देशभक्ति का वह रूप पेश किया कि जनता ने देश की बागडोर उन्हें थमा दी। अब जब उस देशभक्ति का प्रमाण देने का समय आया तो महंगाई, भ्रष्टाचार आैर रोजगार जैसे मुद्दों को पीछे धकेल कर राष्ट्रवाद का नया रूप लाकर देश के सामने खड़ा कर दिया गया। राष्ट्रवाद भी ऐसा कि लोगों पर थोपा जाने लगा। जेएनयू में अफजल गुरु के पक्ष में नारे क्या लगे कि हर किसी से देशभक्ति का प्रमाण पत्र मांगा जाने लगा। यह अति उतावला पन ही था कि जेएनयू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का आरोप लगाकर जेल भेज दिया गया। वह बात दूसरी है कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में उस पीडीपी की सरकार बनवाई, जिसने अफजल गुरु की फांसी का विरोध किया था। देश में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि जो भारत माता की जय बोल दे वह देशभक्त। जो नहीं बोले वह देशद्रोही। भारत माता की जय बोलकर देशभक्ति का ठप्पा लगवाओ आैर कुछ भी करते फिरो। हिन्दूवादी नेता देश में रहने के लिए भारत माता की जय बोलना जरूरी बता रहे हैं। ये लोग चाहते हैं कि पूरा विश्व भारत माता की जय बोले।  वह बात दूसरी है कि भारत माता की जय बोलने का राग अलापने वालों में ऐसे कितने नेता हैं  जो जन्म देने वाली अपनी मां का भी सम्मान नहीं करते। इन जैसे नेताओं में से कितनों की माएं वृद्धा आश्रम में रहकर बुढ़ापा काट रही हैं।
   लोगों पर देशभक्ति थोपने वाले लोगों को समझना होगा कि जिस देश में लोगों का जमीर इतना बिक चुका है कि अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। ऐसे में भारत माता की जय बोलकर क्या देश के गद्दार देशभक्त हो जाएंगे। यदि कोई आतंकवादी भारत माता की जय बोल देगा तो क्या उसे देशभक्त मान लिया जाएगा। देशभक्ति तो विचारों में होती है न कि दबाव में। देशभक्ति प्रमाण क्या देश में भाजपा आैर आरएसएस देंगे ? ये वे लोग हैं जो आजादी की लड़ाई में भी राष्ट्रवाद का राग अलापते घूम रहे थे। हमें समझना होगा कि भावनाओं के मुद्दों से मात्र माहौल खराब होता है। भारत माता की जय के नारे पर भी यही हो रहा है। हिन्दूवादी संगठन भारत माता की जय के लिए लोगों पर दबाव बना रहे हैं तो दारुल उलूम देवबंद ने भारत माता की जय को इस्लाम के विरोध में बताकर फतवा जारी कर दिया है।
   इसमें दो राय नहीं कि देश को देशभक्ति की जरूरत है, वोटबैंक के लिए नहीं देश को बचाने के लिए। सत्ता के लिए नहीं, देश के विकास के लिए। आप जनहित में ऐसा काम करें कि लोगों में देशभक्ति की भावना पैदा होनी शुरू हो जाए। ईमानदारी व देशभक्ति की ऐसी मिसाल पैदा करे कि लोग आपसे प्रेरणा लेकर देशभक्ति का अनुसरण करने लगें। सफाई ऊपर से होती न कि नीचे से। जिस दिन देश को चलाने वाले देशभक्त हो जाएंगे उस दिन देश की जनता में देशभक्ति जाग जाएगी। जिस देश में किसान आत्महत्या कर रहे हों। मजदूर के पास काम न हो। युवा का सेना से मोहभंग हो रहा हो। रोजगार के अभाव में देश के होनहार फंदे से लटक रहे हों। महिलाओं की इज्जत सुरक्षित न हो। उस देश के कर्णधार जनता के खून पसीने की कमाई पर एशोआराम की जिंदगी बिता हैं। देश को चलाने के लिए बनाए गए तंत्र विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका व मीडिया पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में देशभक्ति का पाठ पढ़ाने की जरूरत जनता को कम जिम्मेदार लोगों का ज्यादा है। यह कैसी देशभक्ति है कि मदरसे में भारत माता की जय बुलवाने के लिए बच्चों की पिटाई कर दी जा रही है। देशभक्ति त्याग, बलिदान आैर समर्पण की ऐसी भावना पैदा होगी। थोपने  से नहीं। देश में अच्छा माहौल बनाना होगा। संसद व विधानसभा में बैठे लोगों के समर्पण भाव की राजनीति करने से लोगों में बदलाव आएगा।
   देशभक्ति की बात करने वाले लोगों को आजादी की लड़ाई लड़ने वाले सच्चे क्रांतिकारियों के संघर्ष के अध्ययन की जरूरत है। स्वतंत्रता संग्राम में देखा कि किस तरह से लोगों में देशभक्ति पैदा की गई थी। भगत सिंह ने तो युवाओं में आजादी का जज्बा पैदा करने के लिए अपने को ही कुर्बान कर दिया था। देशभक्ति स्वार्थ का नहीं बल्कि त्याग, बलिदान, समर्पण, व कुर्बानी का नाम है। सरदार भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, डॉ. राम मनोहर लोहिया, लोक नायक जयप्रकाश, खुदीराम बोस, अबुल कलाम, वीर अब्दुल हमीद, अब्दुल कलाम जैसे नायकों ने आगे बढ़कर देशभक्ति के जज्बे के साथ अपने काम को अंजाम दिया। इन लोगों की देशभक्ति स्वार्थ की नहीं जनहित की थी। ऐसी ही देशभक्ति अपने अंदर पैदा कीजिए फिर देखिए बिना कहे लोग भारत माता की जय बोलने लगेंगे। देशभक्ति थोपने वाले लोगों को देखना होगा कि इस देश में कितने लोग भूखे पेट भूखे सो जाते हैं। कितने बच्चे पौष्टिक आहार न मिलने से तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। असली देशभक्ति ता तब जब देश से गरीबी हट जाएगी। भ्रष्टाचर खत्म हो जाएगा। किसान खुशहाल होगा।
   देश को दिखावे की नहीं देश पर मर मिटने वाली देशभक्ति की जरूरत है। देशभक्ति पैदा करने से पहले लोगों के मरते जा रहे जमीर को जगाना होगा। इसमें दो राय नहीं कि देशभक्ति के अभाव में बड़े स्तर पर युवा भटक रहे हैं। अपराध की दुनिया में धकेले जा रहे हैं। कुछ युवाओं के आतंकी संगठनों के संपर्क में होने की बातें भी सुनने को मिल रही हैं। पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई कुछ युवाओं का ब्रोन वाश कर उन्हें आतंकी गतिविधियों में धकेल रही है पर ये लोग इस घिनौने काम में इतनी जल्द कैसे कामयाब हो जा रहे हैं ?  यह सोचनीय विषय है। देश को चला रहे लोगों को समझना होगा कि सब समस्याओं की जड़ गरीबी है। देश में एक ओर लोग अय्याशी करते फिरें दूसरी ओर लोगों के पास खाने के लिए खाना भी न हो तो इस तरह की समस्याएं पैदा होने की संभावनाएं रहती हैं। देशभक्ति पैदा करने वाली शिक्षा का आपने व्यवसायीकरण कर रखा है। अच्छे संस्कार देने वाले शिक्षक व अभिभावक पैसा कमाने की आपाधापी में मशगूल हैं तो बच्चे को सही रास्ते पर लाएगा कौन ?

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