जिस तरह से देश में जाति-धर्म और ऊंच-नीच के नाम पर वोटबैंक की राजनीति का खेल चल रहा है यह देश के लिए घातक है। विचारधारा
और सिद्धांतों की राजनीति को तिलांजलि देकर नेता अवसरवादिता परिवारवाद,
वंशवाद और जातिवाद की राजनीति कर हैं। कोई पिछड़ों के नाम से राजनीति कर
रहा है तो कोई दलितों के नाम से तो कोई मुस्लिमों के नाम पर। कोई भी हथकंडा
अपनाकर बस किसी भी तरह से सत्ता हथियानी है। मूल्यविहीन इस राजनीति में
सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है तो वह सांप्रदायिक सौहार्द का। वैसे तो
गंदली हो चुकी राजनीति में लगभग सभी दलों के नेता भड़काउ भाषण दे रहे हैं पर
सहारनपुर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे इमरान मसूद के भाषण
में मुस्लिमों को रिझाने के लिए जिस तरह से वीडियो क्लीपिंग में मोदी की
बोटी-बोटी कर काट देने की बात कही गई है, उसने तो हद ही पार कर दी और कांग्रेस ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि इमरान मसूद का यह बयान उस समय का है जब वह सपा में थे।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इमरान मसूद कांग्रेस में आकर बदल गए हैं ? क्या कांग्रेस में आकर उनकी मानसिकता और सोच बदल गई है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या इमरान मसूद कांग्रेस में आकर बदल गए हैं ? क्या कांग्रेस में आकर उनकी मानसिकता और सोच बदल गई है।
दिलचस्प बात यह है
सांप्रदायिक सौहार्द के लिए बड़ी-बड़ी बातें करने वाले नेता इस मामले पर
चुप्पी क्यों साध गए हैं। तो यह माना जाए कि राजनेता वोटबैंक की राजनीति
के लिए देश को बर्बाद होते देखते रहेंगे। इसी वोटबैंक की राजनीति के चलते
देश में अराजकता का माहौल है। इंडियन मुजाहिद्दीन सिमी जैसे आतंकी संगठन
सक्रिय हो गए हैं। देश में आतंकी हमले होते रहते हैं और लोग भूल जाते हैं।
देश में ऐसी व्यवस्था पैदा कर दी गई है कि देश में गरीब और गरीब होता जा
रहा है और अमीर और अमीर। बेरोजगारी और गरीबी का फायदा उठाते हुए एक विशेष
वर्ग के कुछ युवाओं को आतंकी बनाया जा रहा है और देश को चलाने ठेका लिए
बैठे राजनेता वोटबैंक की राजनीति करने में व्यस्त हैं। समय रहते वोटबैंक की
राजनीति पर अंकुश नहीं लगा तो कहीं हमारे देश में भी पाकिस्तान जैसे हालात
पैदा न हो जाएं ?