आतंकवाद मामले में अंतरराष्ट्रीय जलालत झेल रहे पाकिस्तान ने अब अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई को हमारे देश के युवाओं को भटकाने के लिए लगाया है। इस मामले में आईएसआई का साथ खुंखार आतंकी संगठन आईएस से दे रहा है। आईएस के आस्ट्रेलिया, कनाडा आैर सीरिया में हमारे देश के खिलाफ हमारे ही युवाओं को आतंक का प्रशिक्षण देेने की सूचनाएं मिल रही हैं। कई युवाओं के सीरिया पहुंचकर आईएस संगठन में शामिल होने की बातें सामने आ रही हैं। स्थिति यह है कि आईएसआई ने कई प्रदेशों में नेटवर्क के अलावा विभिन्न विभागों में भी खुसपैठ बना ली है। हाल ही में सेना की गोपनीय सूचनाएं पाक को भेजने के आरोप में बाड़मेर से दो आैर जैसलमेर में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी व एक महिला की हिरासत मामले को आैर गंभीर बना रही है। गत दिनों जयपुर के बिचून गांव के राजकीय विद्यालय में गणतंत्र दिवस पर कुछ युवकों के राष्ट्रीय ध्वज को फाड़ने तथा जलाने की हरकत ने उन पर आतंकी संगठनों के प्रभाव को उजागर कर दिया।
जम्मू-कश्मीर में आए दिन आईएस का झंडा लहराना देश के लिए खतरे की घंटी है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि जिस देश के युवाओं ने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जिस देश के बच्चे देश पर मर मिटने का जज्बा लेकर पैदा होते हों। ऐसा क्या हो गया कि ये बच्चे उन लोगों का साथ देना को उतारू हैं जो हमारे देश को बर्बाद करने की नीयत पाले बैठे हैं। दरअसल देश में चल रही लूट-खसोट की राजनीति, भ्रष्ट होती नौकरशाही, शिक्षा के हो रहे व्यवसायीकरण, नैतिक शिक्षा व अच्छे संस्कारों के अभाव, परिजनों का बच्चों के मन में धन कमाने की लालसा पैदा करने का रवैया बच्चों को भटका रहा है। देश की भ्रष्ट होती व्यवस्था से त्रस्त होकर बड़े स्तर पर कुंठित बच्चे गलत रास्ता अपना ले रहे हैं। दिखावे की जिंदगी बच्चों के मन में भविष्य संवारने के बजाय मौज-मस्ती ज्यादा असर कर रही है। इसी का फायदा आतंकी संगठन उठा रहे हैं। इन परिस्थितियों में देश में कितनी एजोंसियां बन जाएं, कितने विभाग बन जाएं जब तक युवाओं में देशभक्ति का भाव पैदा नहीं होगा तथा लोगों के मरते जा रहे जमीर को जगाया नहीं जाएगा तब तक आतंकवाद ही नहीं किसी भी समस्या का निदान मुश्किल लग रहा है। इन सब परिस्थितिमें जेएनयू में देश विरोधी नारों देश का माहौल आैर खराब कर दिया है। देश की स्थिति कितनी विकट हो गई है कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विभिन्न जगहों से ऐसे 11 संदिग्ध लोग गिरफ्तार किए गए हैं जो बच्चों को आईएस संगठन में शामिल होने के लिए धन की व्यवस्था कर रहे थे।
स्पेशल सेल के पकड़े गए आईएस आतंकी मोहसिम शेख तो फाइनेंसर नहीं बल्कि सीरिया पहुंचकर आईएस संगठन में शामिल होकर लड़ने की चाहत पाले बैठा था। उसने बताया कि कई बच्चे सीरिया पहुंचकर आईएस संगठन में शामिल हो गए हैं। हरदोई से गिरफ्तार किए गए खुद को मोलवी बताने वाले अब्दुस सामी काजमी के बारे में बताया जा रहा है कि वह बच्चों को देश के खिलाफ उकसाता था।
गत दिनों राष्ट्रीय जांच एजेंसी के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे से गिरफ्तार किए गए कर्नाटक, महाराष्ट्र आैर जम्मू-कश्मीर के तीन बच्चे देश में आईएस के नेटवर्क की पुष्टि करते देखे जा रहे हैं। इन युवकों को संयुक्त अरब अमीरात ने आईएस के संपर्क में होने का आरोप लगाकर वापस भेजा था। वैसे भी तमिलनाडु, बिहार व उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आईएसआई के नेटवर्क की बात पहले ही सामने आ चुकी है। इन परिस्थितियों में देश को बड़े स्तर पर मंथन की जरूरत है। मामले में जहां अंतरराष्ट्रीय दबाव समय की मांग है वहीं अपनी आतंरिक व्यवस्था को सुदृढ़ करना भी जरूरी हो गया है। इन हालात में देश की खुफियां एजेंसियों की जवाबदेही तो बनती ही है साथ ही युवाओं के भटकने के कारणों पर जाते हुए भटके युवाओं का सही रास्ते पर लाना भी हमारी जिम्मेदारी है।
इसमें दो राय नहीं कि पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई इन युवाओं का ब्रोन वाश कर उन्हें आतंकी गतिविधियों में धकेल रही है पर ये लोग इस घिनौने काम में इतनी जल्द कैसे कामयाब हो जा रहे हैं ? यह सोचनीय विषय है। ये लोग नाबालिग बच्चों पर ज्यादा डोरे डाल रहे हैं। इन बच्चों के अपरिपक्व मन में जमे फिल्मी स्टाइल का फायदा उठाते हुए आईएस इन्हें आतंकवादियों के स्टंट की वीडियो क्लीपिंग दिखा रहे हैं। आतंकवादियों को इन बच्चों के मन में हीरो की छवि बना रहे हैं। देश में आईएस का जाल फैलाने में सोशल साइटों का भी इस्तेमाल हो रहा है। ये हालात देश में अचानक नहीं बने हैं। इसके लिए देश व समाज दोनों जिम्मेदार हैं। देखना यह भी होगा कि भ्रष्ट हो चुकी व्यवस्था में सुधार का हर उपाय बेमानी साबित हो रहा है। देश को चलाने के लिए बनाए गए स्तंभ न्याय पालिका, कार्यपालिका, विधायिका आैर मीडिया में भी भ्रष्टाचार की बातें सामने आ रही हैं तो युवाओं को संभालेगा कौन ? वैसे भी भागदौड़ की इस जिंदगी में परिजनों के पास बच्चों के साथ बिताने के लिए समय है नहीं।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने धर्मगुरुओं के साथ बैठक कर इस मामले को समझने का प्रयास जरूर किया है। धर्मगुरु भी मामले पर गंभीर बताए जा रहे हैं। देखना यह भी होगा कि अब तक तो मुस्लिम व सिख बच्चों के ही भटकाने की बातें सामने आ रही हैं। यदि मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया तो वह दिन दूर नहीं कि जब दलित बच्चे भी इस घिनौने काम में शामिल होते दिखेंगे। वजह साफ है कि कारण कोई भी हो आज भी दलित बच्चे जातीय वैमनस्यता व भेदभाव के शिकार हो रहे हैं। हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमूला की आत्महत्या भी इसमें से एक है। जिस तरह से ईसाइयों ने दलितों की इस परिस्थिति का फायदा उठाया, ठीक उसी तरह से आईएसआई भी दलित बच्चों पर डोरे डाल सकती है। मुस्लिम, सिख आैर दलित बच्चे ही क्यों इस माहौल विभिन्न धर्म व जाति के बच्चे भटक रहे हैं, जो मौज-मस्ती के लिए विभिन्न अपराधों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। दूसरी ओर कुछ मुस्लिम संगठन गिरफ्तार किए गए युवाओं के पक्ष में आ गए हैं। जमात ए इस्लामी हिन्द, जमियत उलेमा ए हिन्द, जमियत अहले हदीश, ऑल इंडिया मुस्लिम ए मुशावरात, ऑल इंडिया मिल्ली कांउसिल और वेलफेयर पार्टी आफ इंडिया के नेता कार्रवाई को आने वाले राज्यों में विधानसभा चुनाव में वोटों के ध्रुवीकरण के लिए बता रहे हैं। इन लोगों का आरोप है कि मोदी सरकार में आतंकवाद को लेकर एकतरफा कार्रवाई की जा रही है।
मामला इतना गंभीर है कि अब तक हुए आतंकी हमलों में पाक के आतंकी शामिल होने की वजह हम लोग पाक को घेर लेते हैं। पर हमारे ही देश के युवा आतंकी हमलों में शामिल होंगे तो हम लोगों की विवशता आैर बढ़ जाएगी। वैसे भी आतंकी हमलों में हम लोग पाकिस्तान पर भी दबाव नहीं बना पा रहे हैं। पाक हर बार पुख्ता सुबूत न देने का बहाना बनाकर अपनी जवाबदेही से बचता रहा है। चाहे संसद पर हुआ आतंकी हमला हो, मुंबई ताज होटल का हो या फिर पठानकोट हमला हर बार हमें निराशा ही हाथ लगी है। पठानकोट मामले में अमरीका के दबाव के बावजूद पाक ने ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जिसमें हम लोग संतुष्ट हो सकें। खुंखार आतंकी हाफिद सईद लगातार भारत पर आतंकी हमले की धमकी दे रहा है आैर पाक मूकदर्शक की भूमिका में है। यह पाक की गलत नीयत ही है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद पाक से आतंकी गतिविधियां कम नहीं हो रही हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने धर्मगुरुओं के साथ बैठक कर इस मामले को समझने का प्रयास जरूर किया है। धर्मगुरु भी मामले पर गंभीर बताए जा रहे हैं। देखना यह भी होगा कि अब तक तो मुस्लिम व सिख बच्चों के ही भटकाने की बातें सामने आ रही हैं। यदि मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया तो वह दिन दूर नहीं कि जब दलित बच्चे भी इस घिनौने काम में शामिल होते दिखेंगे। वजह साफ है कि कारण कोई भी हो आज भी दलित बच्चे जातीय वैमनस्यता व भेदभाव के शिकार हो रहे हैं। हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमूला की आत्महत्या भी इसमें से एक है। जिस तरह से ईसाइयों ने दलितों की इस परिस्थिति का फायदा उठाया, ठीक उसी तरह से आईएसआई भी दलित बच्चों पर डोरे डाल सकती है। मुस्लिम, सिख आैर दलित बच्चे ही क्यों इस माहौल विभिन्न धर्म व जाति के बच्चे भटक रहे हैं, जो मौज-मस्ती के लिए विभिन्न अपराधों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। दूसरी ओर कुछ मुस्लिम संगठन गिरफ्तार किए गए युवाओं के पक्ष में आ गए हैं। जमात ए इस्लामी हिन्द, जमियत उलेमा ए हिन्द, जमियत अहले हदीश, ऑल इंडिया मुस्लिम ए मुशावरात, ऑल इंडिया मिल्ली कांउसिल और वेलफेयर पार्टी आफ इंडिया के नेता कार्रवाई को आने वाले राज्यों में विधानसभा चुनाव में वोटों के ध्रुवीकरण के लिए बता रहे हैं। इन लोगों का आरोप है कि मोदी सरकार में आतंकवाद को लेकर एकतरफा कार्रवाई की जा रही है।
मामला इतना गंभीर है कि अब तक हुए आतंकी हमलों में पाक के आतंकी शामिल होने की वजह हम लोग पाक को घेर लेते हैं। पर हमारे ही देश के युवा आतंकी हमलों में शामिल होंगे तो हम लोगों की विवशता आैर बढ़ जाएगी। वैसे भी आतंकी हमलों में हम लोग पाकिस्तान पर भी दबाव नहीं बना पा रहे हैं। पाक हर बार पुख्ता सुबूत न देने का बहाना बनाकर अपनी जवाबदेही से बचता रहा है। चाहे संसद पर हुआ आतंकी हमला हो, मुंबई ताज होटल का हो या फिर पठानकोट हमला हर बार हमें निराशा ही हाथ लगी है। पठानकोट मामले में अमरीका के दबाव के बावजूद पाक ने ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जिसमें हम लोग संतुष्ट हो सकें। खुंखार आतंकी हाफिद सईद लगातार भारत पर आतंकी हमले की धमकी दे रहा है आैर पाक मूकदर्शक की भूमिका में है। यह पाक की गलत नीयत ही है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद पाक से आतंकी गतिविधियां कम नहीं हो रही हैं।
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