नीतीश कुमार के इस्तीफा देकर
भाजपा से मिलने पर भले ही लोग इसे महागठबंधन और विपक्ष के कमजोर होने की
बात कर रहे हों। उन्हें धोखेबाज़ करार दे रहे हों पर उनके इस रवैये से
समाजवादी विचारधारा को जो बड़ा झटका लगा है वह सबसे बड़ी बात है । जो नीतीश
कुमार समाजवाद के प्रणेता डा. राम मनोहर लोहिया के गैर कांग्रेसवाद की तर्ज
पर गैर संघवाद का नारा देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने
निकले थे। वे अब उन्हीं संघी मोदी की रहमोकरम पर फिर से सत्ता का सुख
भोगेंगे। उनकी इस हरकत से गिरा है समाजवाद का स्तर ? नीतीश जी आप तो हर
बात में लोहिया जी की बात करते थे, आप लोहिया क्या बनते आप तो लोहिया का
बाल भी न बन सके। साम्प्रदायिक ताकतों के सामने घुटने टेक कर आपने साबित कर
दिया कि आप भी सत्ता के लोभी हैं। यदि आपको याद हो तो जब मुलायम सिंह
ने बिहार चुनाव में शामिल न होकर महागठबन्धन कमजोर किया था तब आप आपे से
बाहर हो गए थे। अब जब निजी स्वार्थ के चलते आपने महागठबंधन तोड़ा है तो आपके
बारे में क्या कहा जाए ?
यदि आज आपको लालू प्रसाद और उनके परिजनों के काले कारनामे दिखाई दे रहे हैं तो जब मिलकर चुनाव लड़ा था और जीतकर सरकार बनाई थी तब आपको लालू दागी नज़र नहीं आ रहे थे। तब तो लालू प्रसाद चारा घोटाले के मामले में जेल में बंद थे। तो क्या मोदी से मिलकर देश के प्रधानमंत्री बनोगे ? अब और क्या चाहिए आपको ? केंद्रीय मंत्री के साथ ही कई बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। मत बनते प्रधानमंत्री पर प्रयास तो करते। आज आपकी और मुलायम सिंह यादव की हरकत देखकर लोहिया जी आत्मा रो रही होगी। यदि लालू का साथ रास नहीं आ रहा था तो समाजवादी विचारधारा को लेकर चुनाव के मैदान में जाते। जब देश में साम्प्रदायिक ताकतें नंगा नाच कर रही हैं। किसान आत्महत्या कर रहा है। रोजगार के नाम पर नौजवानों को ठेंगा दिखाया जा रहा है। बीच चौराहे पर जाति धर्म के नाम पर लोगों को मार दिया जा रहा है। गरीबों के खून पसीने की कमाई को दोनों हाथों से लुटाया जा रहा है। ऐसे में आप संघर्ष करने के बजाय सत्ता की मलाई चाटने मोदी की गोदी में बैठ गए हो। शर्म करो। डूब मारो चुल्लू भर पानी में। अब तो समाजवादी चोले को उतार दो, कब तक बिहार की भोली-भाली जनता को ठगते रहोगे ?
यदि आज आपको लालू प्रसाद और उनके परिजनों के काले कारनामे दिखाई दे रहे हैं तो जब मिलकर चुनाव लड़ा था और जीतकर सरकार बनाई थी तब आपको लालू दागी नज़र नहीं आ रहे थे। तब तो लालू प्रसाद चारा घोटाले के मामले में जेल में बंद थे। तो क्या मोदी से मिलकर देश के प्रधानमंत्री बनोगे ? अब और क्या चाहिए आपको ? केंद्रीय मंत्री के साथ ही कई बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। मत बनते प्रधानमंत्री पर प्रयास तो करते। आज आपकी और मुलायम सिंह यादव की हरकत देखकर लोहिया जी आत्मा रो रही होगी। यदि लालू का साथ रास नहीं आ रहा था तो समाजवादी विचारधारा को लेकर चुनाव के मैदान में जाते। जब देश में साम्प्रदायिक ताकतें नंगा नाच कर रही हैं। किसान आत्महत्या कर रहा है। रोजगार के नाम पर नौजवानों को ठेंगा दिखाया जा रहा है। बीच चौराहे पर जाति धर्म के नाम पर लोगों को मार दिया जा रहा है। गरीबों के खून पसीने की कमाई को दोनों हाथों से लुटाया जा रहा है। ऐसे में आप संघर्ष करने के बजाय सत्ता की मलाई चाटने मोदी की गोदी में बैठ गए हो। शर्म करो। डूब मारो चुल्लू भर पानी में। अब तो समाजवादी चोले को उतार दो, कब तक बिहार की भोली-भाली जनता को ठगते रहोगे ?
राष्ट्रीय अध्यक्ष, फाइट फॉर राइट
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