Saturday, 17 May 2014

और अब मोदी की बारी

    देश में एक बात तो अच्छी हो रही है कि जनता जिस पर विस्वास कर रही है उस पर पूरी सिददत के साथ कर रही है, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश की। 2007 के विधान सभा चुनाव में मायावती पर विस्वास किया तो पूर्ण बहुमत से सरकार बनवाई।  2012 में अखिलेश यादव पर भरोसा जताया तो प्रचंड बहुमत दिया और इस बार आम चुनाव में मोदी पर विस्वास किया तो 80 में से 73 सीटें राजग को दे दी, जिसमें दो अपना दल को तो 71 भाजपा को मिली। इन सबके बीच यह देखना होगा कि मायावती जनता की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरीं तो उन्हें नकार दिया, अखिलेश यादव ने संभल कर काम नहीं किया तो आम चुनाव में सपा 5  सीटों पर सिमट कर रह गई।
    अन्ना आंदोलन के बल पर आम आदमी पार्टी बनाकर नई दिल्ली में विधान सभा चुनाव लड़ने वाले अरविन्द केजरीवाल पर विस्वास कर जनता ने 70 में से 28 सीटें दी थी पर जब वह उनकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरे तो आम चुनाव में नई दिल्ली में आम आदमी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। इन आम चुनाव में देश की जनता ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंदर मोदी पर विस्वास कर प्रचंड बहुमत के साथ प्रधानमंत्री की कुर्सी सौंपी है। अब मोदी की बारी है।
    मोदी जी से भी लोगों को बहुत अपेक्षाएं हैं यदि वह भी जनता की अपेक्षाओं खरे नहीं उतरते तो जनता इन्हें भी माफ करने वाली नहीं है। इसलिए मोदी जी को बहुत संभल कर चलना है और यह नहीं भूलना है कि उन्होंने लोगों से बड़े-बड़े वादे किये हैं। वैसे भी देश में महंगाई, भ्रष्टाचार, नक्सलवाद, गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा के व्यवसाईकरण, कानून व्यवस्था के डगमगाने जैसी समस्याओं से जूझ रहा है।

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