बहुत संवेदनशील मुद्दे पर लिखने की कोशिश कर रहा हूं। आज की तारीख में यह लिखना बनता भी है। मैं बात कर रहा हूं पुरे विश्व में मुस्लिमों के खिलाफ बन रहे माहौल की। चाहे अमरीका हो, रूस हो, फ्रांस हो, नेपाल हो या फिर भारत या फिर गैर मुस्लिम अन्य कोई देश लगभग सभी देशों में मुस्लिमों के खिलाफ एक अजब सा माहौल बनता जा रहा है। यहां तक कि मुस्लिमों का साथ देते आ रहे चीन में भी। जो मुस्लिम देश हैं या तो वे दूसरे समुदायों से भिड़ रहे हैं या फिर आतंकवाद से जूझ रहे हैं। कहना गलत न होगा कि मुस्लिम समाज पर एक आफत सी आ गई है।
मैं इस माहौल का बड़ा कारण मुस्लिम समाज में पनपे आतंकवादी संगठनों को मानता हूं। चाहे आईएसआईएस हो, लस्कर ए तैयबा हो। या फिर अन्य कोई संगठन। लगभग सभी आतंकी संगठन किसी न किसी रूप में मुस्लिम समाज से संबंध रखते हैं। यही वजह है कि जब भी आतंकवाद पर कोई बड़ी बहस होती है तो मुस्लिम समाज को कटघरे में खड़ा किया जाता है। आतंकवाद मुद्दे पर मुस्लिम समाज की चुप्पी से गलत संदेश जा रहा है। मुस्लिमों को समझना होगा कि आतंकवाद मुद्दे पर मुस्लिम देश के रूप में पहचान बना चुपे पाकिस्तान की खुलकर पैरवी करने वाले चीन में भी मुस्लिमों के लिए अच्छी खबर नहीं आ रही हैं। हाल यह है कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी हाफिज सईद की पैरवी करने तथा आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का साथ न देने वाले चीन में इन दिनों इस्लाम-विरोधी माहौल बन रहा है। हाल ही में केंद्रीय चीन स्थित शहर नांगांग में जब एक मस्जिद बनने का प्रस्ताव पारित हुआ तो स्थानीय लोगों ने इसका जमकर विरोध किया। अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए बड़ी संख्या में लोग सोशल मीडिया पर मुस्लिम-विरोधी संदेश पोस्ट करने लगे। मुस्लिम बहुल शिनजांग प्रांत में चीन ने दाढ़ी रखने-बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही धार्मिक तरीके से शादी करने पर रोक लगा दी गई। विश्व की बड़ी शक्ति माने जाने वाले अमरीका के राष्ट्रपति डोलाल्ड ट्रंप मुस्लिमों को लेकर कोर्ट से भी टकराने को तैयार हैं। सबसे महफूज जगह भारत में भी मुस्लिमों के खिलाफ बड़ा भयानक माहौल बना हुआ है।
अब समय आ गया है कि मुस्लिम समाज को इन सब पर मंथन करना होगा। एक देश समझ में आ सकता है। एक समाज समझ में आ सकता है। पूरे विश्व में यदि मुस्लिमों के खिलाफ माहौल बना है तो यह निश्चित रूप से बड़ी बहस का मुद्दा है। मुस्लिम समाज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंथन करना होगा कि आखिर उनके समाज में ऐसी क्या-क्या कमियां आ गईं कि सभी के सभी उनके पीछे पड़ गए। उनको संदेह की दृष्टि से देखने वाले लोगों को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए मुस्लिम आतंकवाद के खिलाफ सड़कों पर क्यों नहीं उतर रहे है ? क्यों नहीं उन लोगों का विरोध करते जो आतंकवाद के मुद्दे पर पूरे के पूरे मुस्लिम समाज को घसीट लेते हैं। मुझे लगता है कि आज फिर मुस्लिम समाज को उस भाईचारे को लेकर अभियान की जरूरत है, जिसके लिए इस समाज ने समय-समय पर लोकप्रियता बटोरी है। जो आतंकवाद पूरी मानव जाति का दुश्मन बना हुआ है, उसके खिलाफ मुस्लिम समाज को ही मोर्चा संभालना होगा। जो राजनीतिक दल वोटबैंक के रूप में उनका इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें मुंह तोड़ जवाब देना होगा। भटके बच्चों को हथियार और कलम का अंतर समझाना होगा। मुस्लिम समाज से हो रही नफरत को बड़ी चुनौती के रूप में लेना होगा। मुस्लिम समाज के प्रतीक माने जाने वाले दाढ़ी, बुर्के को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर जो संदेह व्यक्त किया जा रहा है उस पर बड़े स्तर पर मंथन की जरूरत है। मुस्लिम समाज के साथ ही अन्य समाज के गणमान्य लोगों को भी आगे आकर पूरे विश्व में बने रहे घृणा, नफरत के माहौल को समाप्त कर भाईचारे के माहौल को बनाने की पहल करनी होगी। बात मुस्लिम समाज की ही नहीं है, पूरे विश्व में ऐसा माहौल बना दिया गया है कि हर देश में नस्लीय हमले बढ़े हैं। जिससे विभिन्न देशों में रह रहे विभिन्न देशों के युवाओं के लिए खतरा पैदा हो गया है। इस सब के लिए कौन जिम्मेदार हैं ? कौन हैं इस तरह का माहौल बनाने वाले लोग ? कौन लोग हैं जो इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं ? इन सब लोगों को बेनकाब करना होगा।
चरण सिंह राजपूत
राष्ट्रीय अध्यक्ष फाइट फॉर राइट